The Indus civilization । The Harappan civilization । Major civilization site
सिन्धु सभ्यता। हड़प्पा सभ्यता। प्रमुख सभ्यता स्थल
हड़प्पा सभ्यता भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता है। गार्डन चाईल्ड ने हड़प्पा सभ्यता को प्रथम नगरीय क्रांति कहा है। हड़प्पा सभ्यता तीसरी कांस्ययुगीन सभ्यता कही जाती है ( प्रथम कांस्ययुगीनमिस्त्र व द्वितीय कांस्ययुगीन सभ्यता मेसोपोटामिया है )। एम.आर. मुगल ने इसे वृहत्तर सिन्धु सभ्यता के नाम से पुकारा है।
सिन्धु सभ्यता को मानव इतिहास में तृतीय कांस्ययुगीन , सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता माना जाता है।
हड़प्पा के टीलों की ओर सर्वप्रथम 1826 ई. में चाल्र्स मैसन ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। 1834 ई. में बर्नेस ने रावी नदी के किनारे ध्वस्त किले के विद्यमान होने का संकेत दिया।
1853 में जॉन बर्टन एवं विलियम बर्टन ने हड़प्पा के टीलों से प्राप्त ईंटों का प्रयोग लाहौर से करांची तक रेलवे लाईन बिछाने में किया। एलेक्जेंडर कनिंघम ने 1853 ई. व 1856 ई. में हड़प्पा की खोज से पूर्व दो बार हड़प्पा कीे यात्रा की। भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना सर्वप्रथम 1861 ई. में अलेक्जेण्डर कनिघ्ंम के प्रयासों से हुई इसी कारण कनिघ्ंम को भारतीय पुरातत्व का जनक कहते है।
लार्ड कर्जन के काल में 1902 ई. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का पुर्नगठन किया गया। जॉन मार्शल ने इस विभाग में 1902 ई. से 1928 ई. तक महानिदेशक पद पर कार्य किया। सर्वप्रथम 1921 ई. में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल के निर्देशन में रायबहादुर दयाराम साहनी ने पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) के मोण्टगोमरी जिले(वर्तमान शाहीवाल जिला) में रावी नदी के तट पर स्थित हड़प्पा का अन्वेषण किया।
हड़प्पा की पहचान चीनी यात्री ह्वेनसांग द्वारा अपनी भारत यात्रा के दौरान देखे गये पो-फा-तो या पो-फा-तो-दो के साथ की जाती है। हड़प्पा सभ्यता का उदय पश्चिमोत्तर भारत में पहले से चली आ रही पाषाण एवं ताम्र पाषाण सभ्यताओं के निरंतर विकास के फलस्वरूप हुआ।
विकसित हड़प्पा सभ्यता का मूल केन्द्र पंजाब व सिन्ध में था। किन्तु गुजरात, राजस्थान, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक के क्षेत्र में भी इस सभ्यता का विस्तार हुआ। सैन्धव स्थलों का सर्वाधिक संकेन्द्रण (विस्तार) 'हकरा-घग्गर (सरस्वती) मार्ग क्षेत्र में है।
इस सभ्यता के अब तक 1500 व भारत में 350 से अधिक स्थल प्रकाश में आ चुके है। इनमे से सर्वाधिक 200 स्थल गुजरात में है। स्वतंत्रता से पूर्व उत्खनित अधिकांश स्थल विभाजन के बाद पाकिस्तान में चले गये। केवल दो स्थल, सतलज नदी पर कोटला निहंग खां तथा मादर नदी पर रंगपुर (काठियावाड़) भारत में शेष रहे।
स्वतंत्रता के बाद भारत में 1950 में बी.वी. लाल द्वारा खोजा गया प्रथम स्थल रोपड़ था जिसका उत्खनन 1953 ई में यज्ञदत शर्मा ने किया स्वतंत्रता के बाद भारत में उत्खनित किया गया प्रथम स्थल रंगपुर था जिसका उत्खनन 1952 ई में रंगनाथ राव ने किया तथा रंगपुर की खोज स्वतंत्रता से पूर्व ही 1933 ई में माधोस्वरूप वत्स ने की थी
रेडियो कार्बन-14 (सी-14) के विश्लेषण के आधार पर डी.पी. अग्रवाल द्वारा हड़प्पा सभ्यता की तिथि 2300 ई.पू. से 1750 ई.पू. मानी गयी है।
जॉन मार्शल ने 20 सितम्बर 1924 के लन्दन वीकली समाचार पत्र द इलस्ट्रेटेड लन्दन न्यूज के लेख में सर्वप्रथम सिन्धु सभ्यता का नाम दिया। सर्वप्रथम जॉन मार्शल ने 1931 ई. में हड़प्पा सभ्यता की तिथि निर्धारित की। सरगान (मेसोपोटामिया) के अभिलेख के आधार पर हड़प्पा सभ्यता का समय 3250-2750 ई.पू. माना गया है।
सिन्धु सभ्यता। हड़प्पा सभ्यता। प्रमुख सभ्यता स्थल
हड़प्पा सभ्यता भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता है। गार्डन चाईल्ड ने हड़प्पा सभ्यता को प्रथम नगरीय क्रांति कहा है। हड़प्पा सभ्यता तीसरी कांस्ययुगीन सभ्यता कही जाती है ( प्रथम कांस्ययुगीनमिस्त्र व द्वितीय कांस्ययुगीन सभ्यता मेसोपोटामिया है )। एम.आर. मुगल ने इसे वृहत्तर सिन्धु सभ्यता के नाम से पुकारा है।
सिन्धु सभ्यता को मानव इतिहास में तृतीय कांस्ययुगीन , सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता माना जाता है।
हड़प्पा के टीलों की ओर सर्वप्रथम 1826 ई. में चाल्र्स मैसन ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। 1834 ई. में बर्नेस ने रावी नदी के किनारे ध्वस्त किले के विद्यमान होने का संकेत दिया।
1853 में जॉन बर्टन एवं विलियम बर्टन ने हड़प्पा के टीलों से प्राप्त ईंटों का प्रयोग लाहौर से करांची तक रेलवे लाईन बिछाने में किया। एलेक्जेंडर कनिंघम ने 1853 ई. व 1856 ई. में हड़प्पा की खोज से पूर्व दो बार हड़प्पा कीे यात्रा की। भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना सर्वप्रथम 1861 ई. में अलेक्जेण्डर कनिघ्ंम के प्रयासों से हुई इसी कारण कनिघ्ंम को भारतीय पुरातत्व का जनक कहते है।
लार्ड कर्जन के काल में 1902 ई. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का पुर्नगठन किया गया। जॉन मार्शल ने इस विभाग में 1902 ई. से 1928 ई. तक महानिदेशक पद पर कार्य किया। सर्वप्रथम 1921 ई. में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल के निर्देशन में रायबहादुर दयाराम साहनी ने पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) के मोण्टगोमरी जिले(वर्तमान शाहीवाल जिला) में रावी नदी के तट पर स्थित हड़प्पा का अन्वेषण किया।
हड़प्पा की पहचान चीनी यात्री ह्वेनसांग द्वारा अपनी भारत यात्रा के दौरान देखे गये पो-फा-तो या पो-फा-तो-दो के साथ की जाती है। हड़प्पा सभ्यता का उदय पश्चिमोत्तर भारत में पहले से चली आ रही पाषाण एवं ताम्र पाषाण सभ्यताओं के निरंतर विकास के फलस्वरूप हुआ।
विकसित हड़प्पा सभ्यता का मूल केन्द्र पंजाब व सिन्ध में था। किन्तु गुजरात, राजस्थान, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक के क्षेत्र में भी इस सभ्यता का विस्तार हुआ। सैन्धव स्थलों का सर्वाधिक संकेन्द्रण (विस्तार) 'हकरा-घग्गर (सरस्वती) मार्ग क्षेत्र में है।
इस सभ्यता के अब तक 1500 व भारत में 350 से अधिक स्थल प्रकाश में आ चुके है। इनमे से सर्वाधिक 200 स्थल गुजरात में है। स्वतंत्रता से पूर्व उत्खनित अधिकांश स्थल विभाजन के बाद पाकिस्तान में चले गये। केवल दो स्थल, सतलज नदी पर कोटला निहंग खां तथा मादर नदी पर रंगपुर (काठियावाड़) भारत में शेष रहे।
स्वतंत्रता के बाद भारत में 1950 में बी.वी. लाल द्वारा खोजा गया प्रथम स्थल रोपड़ था जिसका उत्खनन 1953 ई में यज्ञदत शर्मा ने किया स्वतंत्रता के बाद भारत में उत्खनित किया गया प्रथम स्थल रंगपुर था जिसका उत्खनन 1952 ई में रंगनाथ राव ने किया तथा रंगपुर की खोज स्वतंत्रता से पूर्व ही 1933 ई में माधोस्वरूप वत्स ने की थी
रेडियो कार्बन-14 (सी-14) के विश्लेषण के आधार पर डी.पी. अग्रवाल द्वारा हड़प्पा सभ्यता की तिथि 2300 ई.पू. से 1750 ई.पू. मानी गयी है।
जॉन मार्शल ने 20 सितम्बर 1924 के लन्दन वीकली समाचार पत्र द इलस्ट्रेटेड लन्दन न्यूज के लेख में सर्वप्रथम सिन्धु सभ्यता का नाम दिया। सर्वप्रथम जॉन मार्शल ने 1931 ई. में हड़प्पा सभ्यता की तिथि निर्धारित की। सरगान (मेसोपोटामिया) के अभिलेख के आधार पर हड़प्पा सभ्यता का समय 3250-2750 ई.पू. माना गया है।
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The Harappan civilization is the first urban civilization of India. Garden Child has called the Harappan civilization the first urban revolution. The Harappan civilization is called the Third Bronze Age Civilization (the first Bronze Age Egyptian and the Second Bronze Age civilization are Mesopotamia). MR Mughals called it the Greater Indus Civilization.
The Indus civilization is considered the third bronze-age, well-organized urban civilization in human history.
Charles Maison first attracted the attention of Harappan mounds in 1826 AD. In 1834, Barnes indicated the existence of a demolished fort on the banks of the river Ravi.
In 1853, John Burton and William Burton used bricks derived from the Harappan mounds in laying railway lines from Lahore to Karachi. Alexander Cunningham visited Harappa twice before the discovery of Harappa in 1853 AD and 1856 AD. The Archaeological Department of India was first established in 1861 by the efforts of Alexander Kanigham, for this reason, Kanigham is called the father of Indian archeology.
During the period of Lord Curzon, the Archaeological Survey of India was reorganized in 1902 AD. John Marshall served in this department from 1902 AD to 1928 AD as Director General. In 1921 AD, under the direction of Sir John Marshall, Director General of the Archaeological Survey of India, Raibahadur Dayaram Sahni explored Harappa on the banks of river Ravi in Montgomery district (present Shahiwal district) of Punjab (present-day Pakistan).
Harappa is identified with Po-fa-to or Po-fa-to-do by Chinese traveler Xuanzang during his visit to India. The rise of the Harappan civilization resulted from the continued development of the already existing Stone and Copper Stone civilizations in northwest India.
The original center of the developed Harappan civilization was in Punjab and Sindh. But this civilization also expanded in the area of Gujarat, Rajasthan, Haryana and western Uttar Pradesh. The maximum concentration (expansion) of the Sandhav sites is in the 'Hakra-Ghaggar (Saraswati) road area.
So far, more than 1500 sites of this civilization have come to light in India. Most of these places are in Gujarat. Most sites excavated before independence migrated to Pakistan after partition. Only two sites, Kotla Nihang Khan on Sutlej River and Rangpur (Kathiawar) on Madar River remain in India.
After independence in India in 1950 BV The first site discovered by Lal was Ropar which was excavated in 1953 AD by Yajnadat Sharma, the first site excavated in India after Rangpur was Rangpur which was excavated by Ranganath Rao in 1952 and Rangpur was discovered before independence in 1933 AD. Watts did
Based on the analysis of radio carbon-14 (C-14), D.P. The date of Harappan civilization by Aggarwal is 2300 BC. From 1750 BC Is considered
John Marshall named the Indus civilization for the first time in a September 20, 1924 article in the London Weekly newspaper, The Illustrated London News. First John Marshall set the date of Harappan civilization in 1931 AD. The time of Harappan civilization, based on the records of Sargan (Mesopotamia), 3250-2750 BC. It is assumed.
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