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बुधवार, 6 मई 2020

चंदबरदाई- पृथ्वीराज रासौ

चंदबरदाई- पृथ्वीराज रासौ


  • चंदबरदाई का जन्म 1148 ई. में लाहौर में हुआ। ये पृथ्वीराज चौहान तृतीय के राजकवि, मित्र व         सहयोगी थे, उन्होनें अपने मित्र का अंतिम क्षण तक साथ दिया था।
  • चंदबरदाई को हिंदी (ब्रजभाषा हिंदी) का प्रथम महाकवि माना जाता है
  • पृथ्वीराज रासौ , चंदबरदाई द्वारा रचित महाकाव्य, जिसका अंतिम भाग इसके पुत्र जल्हण ने           पूर्ण  किया। इसकी सबसे प्राचीन प्रति बीकानेर के राजकीय पुस्तकालय में मिली है।
  • पृथ्वीराज रासौ की भाषा पिंगल है, जो राजस्थान की ब्रजभाषा का पर्याय है।
  • पृथ्वीराज रासौ को 'हिंदी की पहली रचना महाकाव्य होने का सम्मान प्राप्त है। इसमें 10,000 से             अधिक छंद है और तात्कालीन प्रचलित 6 भाषाओं का प्रयोग किया गया है। ढ़ाई हजार पृष्ठों              के इस ग्रंथ में 69 समय/सर्ग/अध्याय है।
  • चंदबरदाई की बेटी का नाम राजबाई था ।
  • पृथ्वी राज चौहान तृतीय द्वारा मोहम्मद गौरी को अलग-अलग ग्रंंथों में कई बार पराजित किया हुआ बताया जाता है। जैसे - नयन चंद्र सूरी के हम्मीर महाकाव्य में सात बार मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान द्वारा पराजित करना बताया गया है और चंद्र शेखर के सुर्जन चरित में 21 बार, मेरूतुंग की प्रबंध चिंतामणि में 23 बार, पृथ्वीराज प्रबन्ध में आठ बार , हिन्दु-मुस्लिम संघर्ष का जिक्र किया, परंतु निर्णायक युद्ध दो (तराईन) ही हुए है।
  • पृथ्वीराज रासो के अनुसार चौहान और तुर्कों के मध्य 21 बार मुठभेड़ हुई।
  • तराईन के युद्धों के प्रारंभिक स्रोत -चंदबरदाई - पृथ्वीराज रासौ, हसन निजामी- ताज-उल-मासिर,         मिनहाज-उस-सिराज- 'तबकात-ए-नासिरी।

बुधवार, 15 अप्रैल 2020

कौटिल्य का अर्थशास्त्र । Arthshastra of Kautilya

कौटिल्य का अर्थशास्त्र। Arthshastra of Kautilya

अर्थशास्त्र प्राचीन भारत में राजकीय व सामाजिक व्यवस्था के अध्ययन का महत्वपूर्ण स्रोत है। अर्थशास्त्र प्राचीन भारतीय चिंतन की नीतिशास्त्र परम्परा व राजनीति विषय  का प्रतिनिधि ग्रंथ है। इसमें व्यक्ति के लौकिक आचरण और उसकी उन्नति, राज्य की सैद्धान्तिक व व्यावहारिक समस्याओं आदि का विवेचन किया गया है। अर्थशास्त्र में बताया गया है कि कैसे राज्य को प्राप्त करना व सहेजना चाहिए।
1905 ई. में तन्जौर के एक ब्राह्मण ने अर्थशास्त्र की हस्तलिखित पांडुलिपि मैसूर रियासत के पुस्तकालयाध्यक्ष शाम शास्त्री को भेंट की, जिन्होनें 1909 में इस ग्रंथ का प्रकाशन करवाया। कौटिल्य का वास्तविक नाम विष्णुगुप्त शर्मा है, जिसे चाणक्य नाम से भी जाना जाता है। अर्थशास्त्र गद्य-पद्य दोनों का मिश्रण है। अर्थशास्त्र में कुल 15 अधिकरण है, अर्थशास्त्र ग्रंथ की रचना की है।
मेगस्थनीज व पतंजलि, कौटिल्य के नाम का उल्लेख नहीं करते है।







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Arthshastra of Kautilya

Arthshastra is an important source of study of state and social system in ancient India. Arthashastra is the representative text of the ethics tradition and politics of ancient Indian thought. In this, the temporal behavior and progress of the person, theoretical and practical problems of the state have been discussed. The Arthashastra explains how the state should receive and save.
In 1905, a Brahmin from Tanjore presented a handwritten manuscript of Arthashastra to Sham Shastri, librarian of the princely state of Mysore, who got the book published in 1909. Kautilya's real name is Vishnugupta Sharma, also known as Chanakya. Arthashastra is a mixture of both prose-verse. There are a total of 15 tribunals in Economics, has written the Arthashastra.
Megasthenes and Patanjali do not mention Kautilya's name.

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