चंदबरदाई- पृथ्वीराज रासौ
- चंदबरदाई का जन्म 1148 ई. में लाहौर में हुआ। ये पृथ्वीराज चौहान तृतीय के राजकवि, मित्र व सहयोगी थे, उन्होनें अपने मित्र का अंतिम क्षण तक साथ दिया था।
- चंदबरदाई को हिंदी (ब्रजभाषा हिंदी) का प्रथम महाकवि माना जाता है।
- पृथ्वीराज रासौ , चंदबरदाई द्वारा रचित महाकाव्य, जिसका अंतिम भाग इसके पुत्र जल्हण ने पूर्ण किया। इसकी सबसे प्राचीन प्रति बीकानेर के राजकीय पुस्तकालय में मिली है।
- पृथ्वीराज रासौ की भाषा पिंगल है, जो राजस्थान की ब्रजभाषा का पर्याय है।
- पृथ्वीराज रासौ को 'हिंदी की पहली रचना महाकाव्य होने का सम्मान प्राप्त है। इसमें 10,000 से अधिक छंद है और तात्कालीन प्रचलित 6 भाषाओं का प्रयोग किया गया है। ढ़ाई हजार पृष्ठों के इस ग्रंथ में 69 समय/सर्ग/अध्याय है।
- चंदबरदाई की बेटी का नाम राजबाई था ।
- पृथ्वी राज चौहान तृतीय द्वारा मोहम्मद गौरी को अलग-अलग ग्रंंथों में कई बार पराजित किया हुआ बताया जाता है। जैसे - नयन चंद्र सूरी के हम्मीर महाकाव्य में सात बार मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान द्वारा पराजित करना बताया गया है और चंद्र शेखर के सुर्जन चरित में 21 बार, मेरूतुंग की प्रबंध चिंतामणि में 23 बार, पृथ्वीराज प्रबन्ध में आठ बार , हिन्दु-मुस्लिम संघर्ष का जिक्र किया, परंतु निर्णायक युद्ध दो (तराईन) ही हुए है।
- पृथ्वीराज रासो के अनुसार चौहान और तुर्कों के मध्य 21 बार मुठभेड़ हुई।
- तराईन के युद्धों के प्रारंभिक स्रोत -चंदबरदाई - पृथ्वीराज रासौ, हसन निजामी- ताज-उल-मासिर, मिनहाज-उस-सिराज- 'तबकात-ए-नासिरी।
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