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बुधवार, 6 मई 2020

राजस्थान में प्रचलित सिक्के Coins prevalent in Rajasthan


राजस्थान में प्रचलित सिक्के
Coins prevalent in Rajasthan
  • “Bibliography of Indian Coins”  नामक ग्रंथ में भारतीय सिक्कों को सचित्र क्रमबद्ध वैज्ञानिक            विवेचन उपलब्ध है।
  • केब ने 1893 ई. में 'द करेंसीज ऑफ दी स्टेट्स ऑफ राजपूताना' पुस्तक लिखी।
  • सिक्कों के अध्ययन को 'न्यूमिसमेटिक्स' कहा जाता है।
  • सर्वप्रथम भारत में शासन करने वाली यूनानी शासकों के सिक्कों पर लेख एवं तिथियाँ                उत्कीर्ण मिलती है।
  • सर्वाधिक सिक्के उत्तरी मौर्यकाल में मिलते है।
  • सर्वाधिक सोने के सिक्के गुप्तकाल में जारी किये गये थे।
  • कुषाणवंशी शासक वीम कदफिसस ने सर्वप्रथम भारत में सोने का सिक्का तैयार करवाया।
  • कुषाणों के समय सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के प्रचलित थे।
  • ब्रिटिश भारत का राजस्थान में सर्वाधिक प्राचीन चाँदी का सिक्का 'कलदार' था।
  • शेरशाह के सिक्कों में 180 ग्रेन को 'रूपया' नाम दिया गया। जो वर्तमान में प्रचलित है।
  • राजस्थान में किसी राजवंश द्वारा जारी सिक्कों में सर्वप्रथम चौहानवंशीय सिक्कों का               जिक्र हुआ है।
  • 1 इनमें वासुदेव का द्रम/विशोषक (ताँबे), रूपक (चाँदी), दीनार(सोने का सिक्का) था।
  • रंगमहल (हनुमानगढ़) यहाँ पर कुषाण कालीन सिक्के मिले है, जिन्हें 'मुरण्डा' कहा गया है।
  • गुरारा, सीकर जिले के इस गाँव से 2744 पंचमार्क प्राप्त हुए है। इनमें से 61 सिक्कों पर 'थ्री                     मैन' अंकित है
  • बीकानेर - गजशाही सिक्का (चाँदी)।
  • जैसलमेर - मुहम्मदशाही, अखैशाही, अखयशाही, डोडिया (ताँबा)
  • उदयपुर - स्वरूपशाही, चांदोड़ी, शाहआलमशाही, ढ़ींगला, त्रिशुलियां, भिलाड़ी, कर्षापण,                                        भीड़रिया, पदमशाही ।
  • डूंगरपुर - उदयशाही सिक्का।
  • बाँसवाड़ा - सालिमशाही सिक्का , लक्ष्मणशाही।
  • प्रतापगढ़ - आलमशाही सिक्का।  
  • शाहपुरा - ग्यारसदिया सिक्का , माधोशाही। 
  • कोटा - गुमानशाही, लक्ष्मणशाही सिक्के। 
  • झालावाड        - मदनशाही सिक्का। 
  • करौली         - कटार झााड़शाही।
  • धौलपुर           - तमंचाशाही सिक्का। 
  • भरतपुर           -  शाहआलम।
  • अलवर           - अखयशाही, रावशाही सिक्के , रावशाही टक्का।
  • जयपुर           -  झाड़शाही, मुहम्मदशाही, माधोशाही।
  • जोधपुर - विजयशाही, भीमशाही, गदिया, फदिया सिक्के , लल्लूलिया,  रूपया,                                           ढल्बूशाही।
  • सोजत (पाली)  -  लल्लू लिया।
  •         सलूम्बर            -  पद्यशाही (ताम्रमुद्रा)।
  • किशनगढ़        -  शाहआलम।
  • बूँदी  -  रामशाही सिक्का,ग्यारहसना, कटारशाही, चेहरेशाही

चंदबरदाई- पृथ्वीराज रासौ

चंदबरदाई- पृथ्वीराज रासौ


  • चंदबरदाई का जन्म 1148 ई. में लाहौर में हुआ। ये पृथ्वीराज चौहान तृतीय के राजकवि, मित्र व         सहयोगी थे, उन्होनें अपने मित्र का अंतिम क्षण तक साथ दिया था।
  • चंदबरदाई को हिंदी (ब्रजभाषा हिंदी) का प्रथम महाकवि माना जाता है
  • पृथ्वीराज रासौ , चंदबरदाई द्वारा रचित महाकाव्य, जिसका अंतिम भाग इसके पुत्र जल्हण ने           पूर्ण  किया। इसकी सबसे प्राचीन प्रति बीकानेर के राजकीय पुस्तकालय में मिली है।
  • पृथ्वीराज रासौ की भाषा पिंगल है, जो राजस्थान की ब्रजभाषा का पर्याय है।
  • पृथ्वीराज रासौ को 'हिंदी की पहली रचना महाकाव्य होने का सम्मान प्राप्त है। इसमें 10,000 से             अधिक छंद है और तात्कालीन प्रचलित 6 भाषाओं का प्रयोग किया गया है। ढ़ाई हजार पृष्ठों              के इस ग्रंथ में 69 समय/सर्ग/अध्याय है।
  • चंदबरदाई की बेटी का नाम राजबाई था ।
  • पृथ्वी राज चौहान तृतीय द्वारा मोहम्मद गौरी को अलग-अलग ग्रंंथों में कई बार पराजित किया हुआ बताया जाता है। जैसे - नयन चंद्र सूरी के हम्मीर महाकाव्य में सात बार मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान द्वारा पराजित करना बताया गया है और चंद्र शेखर के सुर्जन चरित में 21 बार, मेरूतुंग की प्रबंध चिंतामणि में 23 बार, पृथ्वीराज प्रबन्ध में आठ बार , हिन्दु-मुस्लिम संघर्ष का जिक्र किया, परंतु निर्णायक युद्ध दो (तराईन) ही हुए है।
  • पृथ्वीराज रासो के अनुसार चौहान और तुर्कों के मध्य 21 बार मुठभेड़ हुई।
  • तराईन के युद्धों के प्रारंभिक स्रोत -चंदबरदाई - पृथ्वीराज रासौ, हसन निजामी- ताज-उल-मासिर,         मिनहाज-उस-सिराज- 'तबकात-ए-नासिरी।

मंगलवार, 5 मई 2020

अढाई दिन का झोंपड़ा

                 

                                अढ़ाई दिन का झोपड़ा
                               शानदार वीडियो से समझे

अढाई दिन का झोंपड़ा

एक ऐतिहासिक ईमारत है, जो राजस्थान के शहर अजमेर में स्थित है। माना जाता है कि यह ऐतिहासिक इमारत चौहान सम्राट बीसलदेव (विग्रहराज चतुर्थ) ने सन 1153 में बनवाई थी। यह मूलत: संस्कृत विद्यालय थी, जिसे बाद में शाहबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी ने मस्जिद का रूप दे दिया। इस मस्जिद को बनवाने में #जाॅन_मार्शल कहते है कि सिर्फ़ ढाई दिन ही लगे, इसलिए इसे 'अढाई दिन का झोंपड़ा' कहा जाता है।

इस इमारत में सात मेहराबें बनी हुई हैं। ये मेहराबें हिन्दू-मुस्लिम स्‍थापत्‍य शिल्‍पकला के अनूठे उदाहरण हैं।
यह ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह से आगे कुछ ही दूरी पर स्थित है।
इस खंडहरनुमा इमारत में 7 मेहराब एवं हिन्दु-मुस्लिम कारीगिरी के 70 खंबे (16 मुख्य) बने हैं तथा छत पर भी शानदार कारीगिरी की गई है।
इस से कई बातें प्रचलित है और #पर्सी_ब्राउन अब हर साल यहाँ (ढाई) अढाई दिन का मेला लगता है।
इसका नाम इस के निर्माण के कारण ही अढाई दिन का झोंपड़ा पडा है।
यहाँ पहले बहुत बड़ा संस्कृत का विद्यालय था।
1198 में मुहम्मद ग़ोरी ने उस पाठशाला को इस मस्जिद में बदल दिया।
इसका निर्माण थोडा सा फिर से करवाया।
अबु बकर ने इसका नक्शा तैयार किया था।
मस्जिद का अन्दर का हिस्सा मस्जिद से अलग किसी मंदिर की तरह से लगता है।

राजस्थान में प्रमुख बौद्ध स्थल Major Buddhist sites in Rajasthan

                             


                                            राजस्थान में प्रमुख बौद्ध स्थल 

  • छोटी खाटू (नागौर), नोह (भरतपुर), ओसियाँ (जोधपुर), लालसोट (दौसा) के स्तूप। नगरी                       (चितौडग़ढ) के शिलालेख।
  • शेरगढ़, भीनमाल (जालौर), रंगमहल, चाकसू (जयपुर) आदि।
  • विराट नगर - जयपुर जिले का बैराठ क्षेत्र तथा टोंक जिले का क्षेत्र जो महाभारत काल में मत्स्य             प्रदेश की राजधानी था।
  • मत्स्य नरेश विराट की राजधानी बैराठ में बुद्धकालीन अवशेष मिले है।
  • यहाँ की भीमसेन डूँगरी पर भ्राबू शिलालेख के अवशेष मिले है।
  • जोधपुरा - बैराठ के उत्तर में स्थित जहाँ चाकू, छुरी, कुल्हाड़ी व लोहा गलाने की भट्टी मिली है।
  • झालावाड़ - जिले के कौल्वी एवं विनायक हथियागोड़ एवं गुनाई स्थानों पर बौद्ध धर्म के रॉक कट           मंदिर एवं मठ मिले है।
  • अशोक विहार (अजमेर) - बुद्ध की 2500वीं जन्म शताब्दी पर अजमेर में 1976 में महाबोधि अशोक         विहार की स्थापना की गई।
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Major Buddhist sites in Rajasthan

Stupas of Chhoti Khatu (Nagaur), Noh (Bharatpur), Osian (Jodhpur), Lalsot (Dausa). Inscriptions of Nagari (Chittorgarh).
Shergarh, Bhinmal (Jalore), Rangmahal, Chaksu (Jaipur) etc.
Virat Nagar - Bairath area of ​​Jaipur district and area of ​​Tonk district which was the capital of Matsya state during Mahabharata period.
Buddhist relics have been found in Barat, the capital of Matsya Naresh Virat.
Remains of Bhrabu inscription have been found here at Bhimsen Dungri.
Jodhpur - North of Bairath where knife, knife, ax and iron smelting furnace have been found.
Jhalawar - Rock cut temples and monasteries of Buddhism have been found at Kaulvi and Vinayak Hathiyagod and Gunai places of the district.
Ashok Vihar (Ajmer) - Mahabodhi Ashok Vihar was established in 1976 in Ajmer on the 2500th birth century of Buddha.


स्तंभ/मीनारें/मस्जिद/छतरियाँ

                                                


                                               स्तंभ/मीनारें/मस्जिद/छतरियाँ

  1. नागौर मेड़ता की मस्जिद (मेड़ता), संत तारकीन शाह (संत हमीदुद्दीन) की दरगाह
  2. चितौडग़ढ विजय स्तंभ एवं कीर्ति स्तंभ
  3. कपासन हजरत दीवान शाह की दरगाह
  4. प्रतापगढ़ काकाजी की दरगाह (कांठल का ताजमहल)
  5. गागरोण   मीठेशाह की दरगाह (झालावाड़)
  6. जयपुर सरगासूली (ईसरलाट), ईदगाह मस्जिद, नालीसर मस्जिद, अकबर की                                       मस्जिद
  7. गलियाकोट फखरूद्दीन की दरगाह (डूंगरपुर)
  8. जोधपुर गमतागाजी की मीनार, इकमीनार मस्जिद, गुलाब खाँ का मकबरा,                                             गुलरकालूदान की मीनार
  9. अलवर सफदरगंज की मीनार
  10. कोटा नेहरखाँ की मीनार
  11. शिवगंज   सैयद बादशाह की दरगाह स्थित है।(सिरोही)
  12. अजमेर ढ़ाई दिन का झौंपड़ा
  13. बयाना         ऊषा मस्जिद(भरतपुर)
  14. जालौर अलाउद्दीन की मस्जिद

 
                                          छतरियाँ

  • 6 खंभों की छतरी लालसोट (दौसा) में स्थित।
  • 8 खंभों की छतरी बाडोली, महाराणा प्रताप से संंबंधित।
  • 32 खंभों की छतरी रणथम्भौर में स्थित।
  • 80 खंभों की छतरी अलवर, मूसी महारानी से संबंधित, महाराजा विनयसिंह द्वारा                                                     निर्मित यह छतरी टेढ़ी रेखाओं की महराबदार शैली का एक                                                          अत्यंत सुंदर नमूना है।
  • 84 खंभों की छतरी बूंदी, भगवान शिव को समर्पित, राजा अनिरूद्ध के भ्राता देव द्वारा                                                 निर्मित।
  • क्षारबाग की छतरियाँ कोटा एवं बूँदी, यहाँ हाड़ा शासकों की छतरियाँ स्थित है।
  • बड़ा बाग की छतरी जैसलमेर, यहाँ भाटी शासकों की छतरियाँ स्थित है।
  • राजा बख्तावर सिंह की छतरी अलवर में स्थित।
  • राजा जोधसिंह की छतरी          बदनौर में स्थित।
  • सिसोदियावंश के राजाओं की छतरियाँ आहड़ (उदयपुर) में स्थित।
  • रैदास की छतरियाँ चितौडग़ढ़ में स्थित।
  • गोपाल सिंह की छतरी करौली में स्थित।
  • देवकुंड (बीकानेर) राव बीकाजी व रायसिंह की छतरियाँ प्रसिद्ध है।
  • मंडोर (जोधपुर) यहाँ पंचकुंड स्थान पर राठौड़ राजाओं की छतरियाँ स्थित है।
  • गैटोर (नाहरगढ़) यहाँ कछवाहा शासकों की छतरियाँ स्थित है। यहाँ जयसिंह                 द्वितीय से मानसिंह द्वितीय तक की छतरियाँ है। केवल ईश्वरीसिंह की यहाँ छतरी नहीं है।






अलाउद्दीन खिलजी का राजपूताना अभियान



                                      अलाउद्दीन खिलजी का राजपूताना अभियान 


सन् रियासत परिवर्तित नाम     तात्कालीन शासक  जौहर               विद्रोही 
1301 रणथम्भौर   -     हम्मीर चौहान रंग देवी/पुत्री पदम्ला     रणमल/ रतिपाल
1303 चितौडग़ढ़ खिज्राबाद     रतन सिंह पद्मिनी                    राघव चेतन
        1305        मालवा
1308 सिवाणा दुर्ग खैराबाद        शीतल देव मैणादे                         भावले
1311 सोनारगढ़ जलालाबाद     कान्हड़देव जैतलदे                        बिका दहिया

राजस्थान के शासक व सेनानायक/दरबारी विद्वान



राजस्थान के शासक व सेनानायक/दरबारी विद्वान -
शासक सेनानायक/दरबारी

  1. राव मालदेव जैता व कुंपा
  2. उदय सिंह         जयमल व फत्ता
  3. राव रतनसिंह गौरा व बादल
  4. परमार्दिदेव चंदेल आल्हा व उदल
  5. हम्मीर चौहान रणमल व रत्तिपाल (विद्रोही) व धर्मसिंह व भीमसिंह (ईमानदार)
  6. कान्हड़दे         जैता व देवड़ा, बिका दहिया (विद्रोही)
  7. शीतलदेव         सातल व सोम, वीर पँवार
  8. जैत्रसिंह         बालक व मदन
  9. वीर धवल (गुजरात) वास्तुपाल व तेजपाल
  10.         पृथ्वीराज चौहान       पृथ्वीभट्ट ,वागीश्वर ,विश्वरूप ,विद्यापति गौड़ , जयानक, जनार्दन 
  11.         

महल Palace



                                                       महल

  1. जयपुर हवामहल, सिटी पैलेस/चन्द्रमहल, मुबारक महल, जल महल, बादल महल,                                 शीश महल (आमेर)
  2. टोंक         सुनहरी कोठी
  3. जैसलमेर बादल महल
  4. बूँदी         छत्र महल, सुख महल
  5. उदयपुर जगमंदिर महल, जगनिवास महल (लेक पैलेस)
  6. जोधपुर उम्मेद भवन पैलेस
  7. अलवर विजय विलास, विनय विलास
  8. भरतपुर सूरज महल
  9. पुष्कर मान महल
  10. झुंझुनूं खेतड़ी महल
  11. बीकानेर लालगढ़ महल, अनूप महल
  12. डूंगरपुर एक थम्बिया महल, बादल महल
  13. झालावाड़ काठ का रैन बसेरा (महल)


शासकों की उपाधि


 शासकों की उपाधि Title of rulers
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                   शासक           उपाधि/उपनाम
  मुंज परमार (मालवा)   1. वाक्पतिराज  2. उत्पलराज
सिंहराज (आबू)            मरूमंडल का महाराज
अखैराज देवड़ा-प्रथम (सिरोही)   उडग़ा अखैराज
अर्णोराज (अजमेर)              महाराजधिराज, परमेश्वर, परमभट्टारक
विग्रहराज चतुर्थ (अजमेर)   1. कटिबन्धु   2. कविबान्धव
पृथ्वीराज चौहान-तृतीय (अजमेर) 1. रायपिथौरा 2.दलपुंगल   भारतेश्वर , हिंदु सम्राट,
                                                         सपादलक्षेश्वर   दल पंगुल, विश्वविजेता, राय पिथौरा
सुर्जन सिंह हाड़ा (रणथम्भौर)     राव राजा
बप्पा रावल (मेवाड़)     चाल्र्स मार्टल, हिन्दुसूर्य, कालभोज, मालभोज
तेजसिंह (मेवाड़)     उभापतिवर लब्ध प्रौढ़ प्रताप
समर सिंह (मेवाड़)     तुर्कों से गुजरात का उद्धारक ,शत्रुओं की शक्ति का अपहरणकर्ता
राणा हम्मीर (मेवाड़)     1. मेवाड़ का उद्धारक
                     2. विषम घाटी पंचानन
राव चूड़ा (मेवाड़)       मेवाड़ का भीष्म पितामह
राणा कुंभा (मेवाड़) 1. राजस्थान का स्थापत्य कला का जनक  
                2. संग्राम विश्वम्भरो
कवि महेश भट्ट (कुंभा का महाकवि) कवीश्वर
राणा साँगा (मेवाड़) 1. हिन्दूपथ , हिंदूपति  2. सैनिक  भग्नावेश,
                        3. सिपाही का अंश
महाराणा प्रताप (मेवाड़) 1.कीका    2. राजस्थान का महानतम् सुरत्ताण    3. मेवाड़ केसरी      4. हल्दीघाटी का शेर
भामाशाह (महाराणा प्रताप का प्रधानमंत्री) 1. मेवाड़ का दानवीर
2. मेवाड़ का कर्ण  3. मेवाड़ का रक्षक
जगतसिंह प्रथम (मेवाड़-उदयपुर) महाराज
राजसिंह (मेवाड़-उदयपुर) विजय कटकातु
महाराणा सज्जन सिंह (मेवाड़-उदयपुर)
1. केसर-ए-हिन्द
2. त्रह्म्ड्डठ्ठस्र ष्टशद्वद्वड्डठ्ठस्रद्गह्म् शद्घ ह्लद्धद्ग स्ह्लड्डह्म् शद्घ ढ्ढठ्ठस्रद्बड्ड (त्रष्टस्ढ्ढ)
भारमल(आमेर का शासक) 1. राजा   2. अमीर-उल-उमरा
सवाई जयसिंह(आमेर) चाणक्य
जयसिंह-द्वितीय (जयपुर) 1. सरमहाराजहाय
2. राज राजेश्वर श्री राजाधिाराज सवाई
मियाँ चाँदखाँ (सवाई प्रतापसिंह का दरबारी कवि) बुद्ध प्रकाश
सवाई रामसिंह द्वितीय(जयपुर) सितार-ए-हिन्द
सवाई माधोसिंह (जयपुर) बब्बर शेर
सवाई प्रतापसिंह(जयपुर) बृजनिधि
राव मालदेव (मारवाड़) हश्मत वाला शासक
राव चन्द्रसेन(मारवाड़) 1. मारवाड़ का प्रताप
2. प्रताप का अग्रगामी
3. मारवाड़ का पथ प्रदर्शक
4. भूला-बिसरा राजा
राव गजसिंह(मारवाड़) दलथंभन
जसवंत सिंह (मारवाड़) महाराजा
दुर्गादास राठौड़ (मारवाड़ का नायक)     1. राठौड़ वंश का उद्धारक
      2. राठौड़ों का यूलिसीज
महाराजा गजसिंह द्वितीय (मारवाड़) मारवाड़ का भागीरथ
विजयसिंह (मारवाड़)           जहाँगीर का नमूना/मॉडल
पृथ्वीराज राठौड़(मारवाड़) डिंगल का हैरोस
राव लूणकरण (बीकानेर) कलियुग का कर्ण
महाराजा रायसिंह (बीकानेर) 1. महाराजा 2. महाराजाधिराज
3. राजपूताने का कर्ण (दूसरा कर्ण)
कर्ण सिंह जांगलधर बादशाह
अनूप सिंह (बीकानेर) 1. विद्वानों का जन्मदाता  2. माही भरातिव
गंगा सिंह (बीकानेर) 1. के.सी.आई.
2. आधुनिक भारत का भागीरथ
सूरजमल (भरतपुर)         1. जाटों का प्लेटो
            2. सिनसिनवाल जाटों का अफलातून शासक
बदन सिंह (भरतपुर) बृजराज
महारावल कल्याणमल (जैसलमेर)         आधुनिक जैसलमेर का निर्माता
बाबर (मुगल शासक)   गाजी
उम्मादे (मारवाड़)     रूठी रानी
गुलाबराय (मारवाड़)       1. जहाँगीर की नूरजहाँ
2. मारवाड़ की नूरजहाँ
रमाबाई (मेवाड़) वागीश्वरी
उदयपुर के महाराणा हिन्दूआ सूरज
उदयपुर के शासक महाराणा
जोधपुर, बीकानेर के शासक महाराजा
जैसलमेर, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा के शासक महारावल


बावडिय़ाँ Steps

बावडिय़ाँ Steps

  1. चाँद बावड़ी                   दौसा
  2. आलूदा का बुवानियाँ कुण्ड  आलूदा (दौसा)
  3. बुबानियाँ कुण्ड          आभानेरी (दौसा)
  4. भण्डारेज की बावडिय़ाँ          भंडारेज (आभानेरी, दौसा)
  5. विशाल बावड़ी                  भाण्डारेज (दौसा)
  6. सतबीसदेवरी की बावड़ी          चितौडग़ढ़
  7. देवरा बावड़ी                   बेंगू (चितौडग़ढ़)
  8. नाथजी/पुरीजीकी बावड़ी  बेंगू (चितौडग़ढ़)
  9. सुनार की बावड़ी                  बेंगू (चितौडग़ढ़)
  10. माताजी की बावड़ी                 बेंगू (चितौडग़ढ़)
  11. झालर बावड़ी                  बेंगू (चितौडग़ढ़)
  12. खुरा की बावड़ी          बड़ी सादड़ी (चितौडग़ढ़)
  13. भारतियों की बावड़ी          गाँधी नगर (चितौडग़ढ़)
  14. रानीजी की बावड़ी                  बूँदी
  15. मामादेव कुण्ड                  कुंभलगढ़ (राजसमंद)
  16. मंदाकिनी कुण्ड          अलचगढ़ (सिरोही)
  17. पाताल तोड़/लम्बी बावड़ी  धौलपुर 
  18. हर्षनाथ की बावड़ी                  हर्षगिरि (सीकर)


ऐतिहासिक कथन परिभाषा Historical statement or definition इतिहास सम्बन्धित कथन

ऐतिहासिक कथन परिभाषा   Historical statement or definition


विदेशी यात्री/साहित्यकार         दुर्ग/हवेली                  कथन

रूडयार्ड किपलिंग           शेरगढ़                 यह दुर्ग मानव द्वारा नहीं,
                                                                                प्रेतों द्वारा बनाया गया लगता है।

        अबुल-फजल         रणथम्भौर         यह दुर्ग पहाड़ी प्रदेश के बीच में है। इसीलिए लोग                                                                                           कहते है कि और दुर्ग नंगे है परंतु यह बख्तरबंद है।
       अबुल-फजल        कुंभलगढ़                 यह दुर्ग इतनी बुलंदी पर बना हुआ है कि नीचे से                                                                                           ऊपर की ओर देखने पर सिर से पगड़ी गिर जाती है।

        तैमूर                                भटनेर              तुजुक-ए-तैमूरी में लिखा है कि इतना मजबूत व सुरक्षित                                                                                 दुर्ग पूरे हिन्दुस्तान में दूसरा नहीं है।

रूडयार्ड किपलिंग राजस्थान यदि विश्व में कोई ऐसा स्थान है, जहाँ शेरों की हड्डियाँ मार्ग की धूल बनी                                         है, तो वह राजस्थान कहा जा सकता है।
कर्नल जेम्स टॉड कोटा आगरा के किले को छोड़कर किसी भी किले का परकोटा इतना बड़ा नहीं है,      

                                                           इतिहास सम्बन्धित कथन 
🔰हीगेल 👉"इतिहास की सबसे बड़ी सीख यही है कि इतिहास से कोई सीख नहीं लेता।"

🔰रेनियर 👉"इतिहास समाज में रहने वाले मनुष्यों के कार्यों एवं उपलब्धियों की कहानी है।"

🔰वेनदेत्तो क्रोचे 👉" इतिहास एक विशेष प्रकार की कला है।"

🔰बरकेलो 👉"इतिहास एकमात्र तथ्य फर्क नहीं होता बरन स्वीकार किए नियमों का एक क्रम होता था।"

🔰गेरोन्सकी 👉"इतिहास को विज्ञान मानना एक गलती होगी।"

🔰वेनदेत्तो क्रोचे👉"इतिहास का पुनीत कर्तव्य तथ्यों का कलात्मक एवं साहित्यिक प्रस्तुतीकरण होना है।"

🔰रेनियर 👉"इतिहास प्रेम की अभिव्यक्ति है इसमें सौंदर्य ही नहीं अपितु मार्मिक तथ्य भी हैं क्योंकि प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से है या जीवन की अभिव्यक्ति है।"

🔰कार्ल आर पापर 👉"इतिहास विज्ञान नहीं अपितु कला है परंतु चित्रकला, स्थापत्य, कला आदि नहीं।"

🔰वी शेख अली 👉"दस्तावेज संग्रह सामग्री केवल ईट सीमेंट और मसाला है इतिहासकार उनका निर्माता है।"

🔰सीले 👉"इतिहास का साहित्य से कोई संबंध नहीं है लेकिन पाठक के लिए उसकी प्रकृति साहित्यिक होनी चाहिए।"

🔰ओकशाट 👉"इतिहास इतिहासकार का अनुभव होता है इतिहासकार के अलावा और कोई भी इसकी अनुभूति नहीं कर सकता। इतिहास लेखन का अभिप्राय इसका निर्माण होता है।"

🔰चार्ल्स फर्थ 👉"इतिहास ज्ञान की मात्र एक शाखा ही नहीं अपितु एक विशेष प्रकार का ज्ञान है जो मनुष्यों के दैनिक जीवन में उपयोगी है।"

🔰जी एम ट्रेवेलियन 👉"इतिहास अपने अपरिवर्तनीय अंश में एक कहानी है।"

🔰एस एफ औलिवर 👉"इतिहासकार को केवल कहानी बतानी चाहिए इस कहानी के स्वरूप को उपदेश तथा नैतिक विचारों से दुषित नहीं करना चाहिए।"

🔰सर चार्ल्स फर्थ 👉"इतिहास मानव समाज का लेखा-जोखा है। यह उन परिवर्तनों को बतलाता है जिनसे समाज गुजरा है ।यह उन विचारों को ही बतलाता है जिसने समाज के क्रियाकलापों तथा भौतिक दशाओं को प्रभावित किया है।"

🔰आर जी कालिंगवुड👉"मनुष्य की का जीवन ऐतिहासिक है ।क्योंकि वह मानसिक तथा आध्यात्मिक है। जब हम इस इतिहास का अध्ययन करते हैं तो हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि मनुष्य ने क्या किया ,अपितु उसके विचारों पर सोचना चाहिए इतिहास प्रधान नहीं अपितु विचार प्रधान है तथा इतिहास प्राचीन विचारों का पुनः प्रदर्शन करता है।"

🔰आर जी कालिंगवुड👉" संपूर्ण इतिहास विचारों का इतिहास होता है।"

🔰आर जी कालिंगवुड👉"मनुष्य के कार्य विचार पूर्ण होते हैं तथा इतिहासकार ऐतिहासिक अभिनेता के विचारों की पुनरावृत्ति कर अतीत का पुनर्निर्माण करता है।"

🔰डेवी 👉"अतीत के प्रति निष्ठा तो उसके लिए और ना अतीत के लिए बल्कि सुरक्षित तथा सुसंपन्न वर्तमान के लिए की जाती है ताकि एक अच्छे भविष्य का निर्माण किया जा सके।"

🔰ई एच कार 👉"इतिहास इतिहासकार और उसके तत्वों की क्रिया प्रतिक्रिया की एक अभिच्छिन् प्रक्रिया है, तथा अतीत और वर्तमान के बीच अनवरत परिसंवाद है।"

🔰ई एच कार👉"यदि इतिहासकार अतीत की समस्याओं का अध्ययन वर्तमान समस्याओं की कुंजी के रूप में करता है। तो वह तथ्यों की उपयोगितावादी दृष्टिकोण का शिकार नहीं होता, जब बात कहता है कि वर्तमान के लिए उपयोगी व्याख्या ही सही व्याख्या का मानदंड है तब वह उसका दृष्टिकोण उपयोगितावादी नहीं हो जाता, इस परिकल्पना के अनुसार तथ्य कुछ नहीं है केवल व्याख्या ही सब कुछ है।"

🔰गोलब्रेथ 👉"इतिहासकार वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप ही अतीत काले घटनाओं को प्रस्तुत करता है।"

🔰चार्ल्स फर्थ 👉"इतिहास को परिभाषित करना सरल कार्य नहीं है।"

🔰कार्ल आर पापर 👉"इतिहास का कोई अर्थ नहीं होता।"

🔰वेनदेत्तो क्रोचे 👉"संपूर्ण इतिहास समसामयिक होता है।"

🔰रेनियर 👉"इतिहास सभ्य समाज में रहने वाले मनुष्य के कार्यों का उल्लेख है।"

🔰हेनरी पिरने 👉"इतिहास समाज में रहने वाले मनुष्य के कार्यों एवं उपलब्धियों की कहानी हैं।"

🔰प्रोफेसर जान ब्यूरी 👉"यद्यपि इतिहास दार्शनिक चिंतन के लिए साहित्य कला सामग्री प्रदान कर सकता है किंतु इतिहास स्वयं विज्ञान है ना कम ना अधिक।"

🔰प्रो सीले 👉"इतिहास विज्ञान है और साहित्य से इसका कोई सरोकार नहीं है।"

🔰बी कोनेट 👉"इतिहास को विज्ञान इसलिए स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें तथ्यों के अन्वेषण के लिए क्रमबद्ध तथा निश्चित नियमों का अभाव है।"

🔰ए एल रीज👉"वैज्ञानिक प्रणाली द्वारा इतिहास लिखा जाता है लेकिन इसका सर्जन कला है।"

🔰कार्ल आर पापर 👉 "वैज्ञानिक भविष्यवाणी करता है इतिहासकार परिस्थितियों के संदर्भ में भविष्य के लिए मार्गदर्शन करता है।"

🔰विल्हेल्म डिल्थे 👉" इतिहास विज्ञान से भी बढ़कर है क्योंकि इस समय मानसिक प्रक्रियाओं का भी अध्ययन किया जाता है जिसका प्राकृतिक विज्ञान में स्पष्ट अभाव है।"

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