मंगलवार, 5 मई 2020

स्तंभ/मीनारें/मस्जिद/छतरियाँ

                                                


                                               स्तंभ/मीनारें/मस्जिद/छतरियाँ

  1. नागौर मेड़ता की मस्जिद (मेड़ता), संत तारकीन शाह (संत हमीदुद्दीन) की दरगाह
  2. चितौडग़ढ विजय स्तंभ एवं कीर्ति स्तंभ
  3. कपासन हजरत दीवान शाह की दरगाह
  4. प्रतापगढ़ काकाजी की दरगाह (कांठल का ताजमहल)
  5. गागरोण   मीठेशाह की दरगाह (झालावाड़)
  6. जयपुर सरगासूली (ईसरलाट), ईदगाह मस्जिद, नालीसर मस्जिद, अकबर की                                       मस्जिद
  7. गलियाकोट फखरूद्दीन की दरगाह (डूंगरपुर)
  8. जोधपुर गमतागाजी की मीनार, इकमीनार मस्जिद, गुलाब खाँ का मकबरा,                                             गुलरकालूदान की मीनार
  9. अलवर सफदरगंज की मीनार
  10. कोटा नेहरखाँ की मीनार
  11. शिवगंज   सैयद बादशाह की दरगाह स्थित है।(सिरोही)
  12. अजमेर ढ़ाई दिन का झौंपड़ा
  13. बयाना         ऊषा मस्जिद(भरतपुर)
  14. जालौर अलाउद्दीन की मस्जिद

 
                                          छतरियाँ

  • 6 खंभों की छतरी लालसोट (दौसा) में स्थित।
  • 8 खंभों की छतरी बाडोली, महाराणा प्रताप से संंबंधित।
  • 32 खंभों की छतरी रणथम्भौर में स्थित।
  • 80 खंभों की छतरी अलवर, मूसी महारानी से संबंधित, महाराजा विनयसिंह द्वारा                                                     निर्मित यह छतरी टेढ़ी रेखाओं की महराबदार शैली का एक                                                          अत्यंत सुंदर नमूना है।
  • 84 खंभों की छतरी बूंदी, भगवान शिव को समर्पित, राजा अनिरूद्ध के भ्राता देव द्वारा                                                 निर्मित।
  • क्षारबाग की छतरियाँ कोटा एवं बूँदी, यहाँ हाड़ा शासकों की छतरियाँ स्थित है।
  • बड़ा बाग की छतरी जैसलमेर, यहाँ भाटी शासकों की छतरियाँ स्थित है।
  • राजा बख्तावर सिंह की छतरी अलवर में स्थित।
  • राजा जोधसिंह की छतरी          बदनौर में स्थित।
  • सिसोदियावंश के राजाओं की छतरियाँ आहड़ (उदयपुर) में स्थित।
  • रैदास की छतरियाँ चितौडग़ढ़ में स्थित।
  • गोपाल सिंह की छतरी करौली में स्थित।
  • देवकुंड (बीकानेर) राव बीकाजी व रायसिंह की छतरियाँ प्रसिद्ध है।
  • मंडोर (जोधपुर) यहाँ पंचकुंड स्थान पर राठौड़ राजाओं की छतरियाँ स्थित है।
  • गैटोर (नाहरगढ़) यहाँ कछवाहा शासकों की छतरियाँ स्थित है। यहाँ जयसिंह                 द्वितीय से मानसिंह द्वितीय तक की छतरियाँ है। केवल ईश्वरीसिंह की यहाँ छतरी नहीं है।






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