मंगलवार, 5 मई 2020

मौर्यकालीन कला

                         


                                                                   कला
मौर्यकालीन कला

  1. पटना के बुलंदी बाग क्षेत्र से मौर्यकालीन लकड़ी का महल मिला है।
  2. पटना के समीप कुम्रहार गाँव से मौर्यकालीन राजप्रसाद के अवशेष मिले है।
  3. फाह्यान के अनुसार -'यह प्रासाद मानव कृति नहीं है, वरन देवों द्वारा निर्मित है।
  4. एरियन के अनुसार इस राजप्रासाद की शानोशौकत का मुकाबला न तो सूसा और न                   एकबतना ही कर सकते है।
  5. मौर्यकाल में काष्ठ के स्थान पर पत्थर का उपयेाग शुरू हुआ।
  6. अशोक के एकाश्मक स्तम्भ (एक ही पत्थर को तराश कर बनाये गये) मौर्य कला के                   सर्वश्रेष्ठ नमूने है। इन पर चमकदार पॉलिश है।
  7. अशोक के स्तम्भ उत्तरप्रदेश के चुनार (मिर्जापुर) के बलुआ पत्थर से बने है।

स्तम्भों का शीर्ष अलग बना हुआ है तथा शीर्ष पर पशुओं की मूर्तियां है। शीर्ष का मुख्य अंश घंटा है। इसे अवांगमुखी कमल कहा जाता है। शीर्ष पर चार पशुओं का अंकन है - हाथी, घोड़ा, सिंह व बैल।

  • अशोक के स्तम्भ पशु
  • सारनाथ स्तम्भ चार सिंह
  • लौरिया नन्दनगढ़ एक सिंह
  • रामपुरवा स्तम्भ एक बैल
  • वैशाली स्तम्भ एक सिंह
  • संकिसा स्तम्भ एक हाथी
  • सांची स्तम्भ चार सिंह
रामपुरवा के दूसरे स्तम्भ पर एक सिंह बैठाया गया है।
कौशाम्बी, रामपुरवा, वैशाली तथा संकिसा के स्तम्भ लेख विहीन है।
  • अशोक के एकाश्मक स्तम्भों का सर्वश्रेष्ठ नमूना सारनाथ के सिंह स्तम्भ का शीर्ष है। जिसमें चार सिंह पीठ सठाये बैठे है तथा एक चक्र धारण किये हुए है। यह चक्र बुद्ध द्वारा धर्मचक्रप्रवर्तन का प्रतीक है। आधुनिक भारत का राष्ट्रीय चिह्न भी सारनाथ के स्तम्भ से लिया गया है। इस चक्र में मूलत: 32 तीलियां थी।
  • सांची व भरहुत के मूल स्तूप के निर्माण का श्रेय भी अशोक को दिया जाता है।
  • भारतीय स्तम्भ सपाट है जबकि ईरानी स्तम्भ नालीदार है।
  • अशोक ने वास्तुकला की नई शैली गुफा निर्माण को शुरू किया।
  • बराबर (गया जिला) की चार गुफाओं का निर्माण अशोक ने करवाया। इनके नाम कर्ण, सुदामा, चौपार तथा विश्व झोंपड़ी है।
  • बराबर की पहाडिय़ों में लोमश ऋषि की गुफा भी मौर्य कालीन है। इसका निर्माण दशरथ ने कराया।
  • अशोक के पौत्र दशरथ ने भी नागार्जुनी पहाडिय़ों में आजीवकों को 3 गुफाएं प्रदान की। इनमें गोपी गुफा प्रसिद्ध है। वापी गुफा तथा पदथिक गुफा अन्य गुफायें है।


                                             लोक कला
मथुरा के परखम ग्राम से प्राप्त यक्ष मूर्ति (यह मणिभद्र कहलाती है), पटना के दीदारगंज से प्राप्त चामर ग्राहिणी यक्षी, बेसनगर से प्राप्त यक्षी, ग्वालियर की मणिभद्र यक्षी की मूर्ति, राजघाट (वाराणसी) से प्राप्त त्रिमुख यक्ष की प्रतिमा, शिशुपालगढ़ से प्राप्त यक्ष की प्रतिमा।
पटना के बुलन्दी बाग से नर्तकी की एक मृणमूर्ति है तथा रथ का एक पहिया मिला है, जिसमें 24 तीलियां है। उड़ीसा में धौली में चट्टान को काटकर हाथी आकृति बनाई गई।

   नोह (भरतपुर)       राजस्थान में आरंभिक मूर्तिकला का उद्गम एवं विकास स्थल। 
     -                                        यहाँ जाख बाबा की विशाल यक्ष-प्रतिमा मिली है।

माध्यमिका       यहाँ बौद्ध एवं वैष्णव मूर्तियाँ मिली है।

मालव नगर (टोंक)       यहाँ शुंगकालीन देवी का फलक मिला है।

रंगमहल       इसमें एकमुखी शिवलिंग तथा उमा माहेश्वर की मृण्मूर्तियाँ मिली है।
                     सरस्वती उपत्यका राजस्थान में यहाँ से अर्जकपाद की मृण्मूर्ति मिली है।

आभानेरी (दौसा) यहाँ से गुप्तकालीन मूर्तियाँ (हर्षमाता के मंदिर) मिली है।

अर्थूना 11वीं-12वीं शताब्दी में परमार वंशीय नरेशों की राजधानी, 
                                         मूर्तियों का प्रमुख केन्द्र रहा।

महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति ओसियों में स्थित है।

लिंगोद्भव की मूर्ति हर्षनाथ (सीकर) में स्थित है।

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Art - Mauryan art


  1. Mauryan wooden palace is found from Bulandi Bagh area of ​​Patna.
  2. Remains of Mauryan Rajprasad have been found from Kumrahar village near Patna.
  3. According to Fahyan - 'This prasada is not a human work, but it is made by the gods.
  4. According to Arian, neither the Susa nor the Ekbatna can combat the majesty of this royal palace.
  5. In the Mauryan period, the use of stone started in place of wood.
  6. Ashoka's monolithic pillar (carved into a single stone) is the best specimen of Mauryan art. These have shiny polish on them.
  7. The pillars of Ashoka are made of sandstone in Chunar (Mirzapur), Uttar Pradesh.

The top of the pillars remains separate and the animal sculptures at the top. The main part of the top is the hour. It is called Avangamukhi Lotus. There is a marking of four animals at the top - elephant, horse, lion and bull.

  • Ashoka's Pillar Animals
  • Sarnath Pillar Char Singh
  • Lauria nandangarh a lion
  • Rampurwa pillar a bull
  • Vaishali pillar a lion
  • Sankisa pillar an elephant
  • Sanchi Pillar Char Singh

A lion is seated on the second pillar of Rampurwa.
The columns of Kaushambi, Rampurwa, Vaishali and Sankisa are devoid of articles.

  • The best specimen of Ashoka's monolithic pillars is the top of the lion pillar of Sarnath. In which four lions are sitting on their backs and holding a circle. This cycle is a symbol of Dharmachakra Pravartan by Buddha. The national icon of modern India is also derived from the pillar of Sarnath. Originally there were 32 matchsticks in this cycle.
  • Ashoka is also credited for building the original stupas of Sanchi and Bharhut.
  • The Indian column is flat while the Iranian column is corrugated.
  • Ashoka introduced the new style of architecture to cave construction.
  • Four caves of Barabar (Gaya district) were built by Ashoka. Their names are Karna, Sudama, Chaupar and Vishwa Shanti.
  • The cave of Lomash Rishi is also a Mauryan period in equal hills. It was built by Dasharatha.
  • Ashoka's grandson Dasharatha also provided 3 caves to the livelihoods in the Nagarjuni hills. Gopi cave is famous among them. Vapi cave and Padthik cave are other caves.


Folk Art Mauryan 
Yaksha idol (it is called Manibhadra) from Parcham village of Mathura, Chamar Grahini Yakshi from Patna's Didarganj, Yakshi from Besnagar, Manibhadra Yakshi idol from Gwalior, Trimukh Yaksha statue from Rajghat (Varanasi), from Shishupalgarh Statue of Yaksha.
There is a dancer's pottery from Bulandi Bagh in Patna and a wheel of chariot has been found, which has 24 spokes. The rock cut elephant shape in Dhauli in Orissa was made.


स्तंभ/मीनारें/मस्जिद/छतरियाँ

                                                


                                               स्तंभ/मीनारें/मस्जिद/छतरियाँ

  1. नागौर मेड़ता की मस्जिद (मेड़ता), संत तारकीन शाह (संत हमीदुद्दीन) की दरगाह
  2. चितौडग़ढ विजय स्तंभ एवं कीर्ति स्तंभ
  3. कपासन हजरत दीवान शाह की दरगाह
  4. प्रतापगढ़ काकाजी की दरगाह (कांठल का ताजमहल)
  5. गागरोण   मीठेशाह की दरगाह (झालावाड़)
  6. जयपुर सरगासूली (ईसरलाट), ईदगाह मस्जिद, नालीसर मस्जिद, अकबर की                                       मस्जिद
  7. गलियाकोट फखरूद्दीन की दरगाह (डूंगरपुर)
  8. जोधपुर गमतागाजी की मीनार, इकमीनार मस्जिद, गुलाब खाँ का मकबरा,                                             गुलरकालूदान की मीनार
  9. अलवर सफदरगंज की मीनार
  10. कोटा नेहरखाँ की मीनार
  11. शिवगंज   सैयद बादशाह की दरगाह स्थित है।(सिरोही)
  12. अजमेर ढ़ाई दिन का झौंपड़ा
  13. बयाना         ऊषा मस्जिद(भरतपुर)
  14. जालौर अलाउद्दीन की मस्जिद

 
                                          छतरियाँ

  • 6 खंभों की छतरी लालसोट (दौसा) में स्थित।
  • 8 खंभों की छतरी बाडोली, महाराणा प्रताप से संंबंधित।
  • 32 खंभों की छतरी रणथम्भौर में स्थित।
  • 80 खंभों की छतरी अलवर, मूसी महारानी से संबंधित, महाराजा विनयसिंह द्वारा                                                     निर्मित यह छतरी टेढ़ी रेखाओं की महराबदार शैली का एक                                                          अत्यंत सुंदर नमूना है।
  • 84 खंभों की छतरी बूंदी, भगवान शिव को समर्पित, राजा अनिरूद्ध के भ्राता देव द्वारा                                                 निर्मित।
  • क्षारबाग की छतरियाँ कोटा एवं बूँदी, यहाँ हाड़ा शासकों की छतरियाँ स्थित है।
  • बड़ा बाग की छतरी जैसलमेर, यहाँ भाटी शासकों की छतरियाँ स्थित है।
  • राजा बख्तावर सिंह की छतरी अलवर में स्थित।
  • राजा जोधसिंह की छतरी          बदनौर में स्थित।
  • सिसोदियावंश के राजाओं की छतरियाँ आहड़ (उदयपुर) में स्थित।
  • रैदास की छतरियाँ चितौडग़ढ़ में स्थित।
  • गोपाल सिंह की छतरी करौली में स्थित।
  • देवकुंड (बीकानेर) राव बीकाजी व रायसिंह की छतरियाँ प्रसिद्ध है।
  • मंडोर (जोधपुर) यहाँ पंचकुंड स्थान पर राठौड़ राजाओं की छतरियाँ स्थित है।
  • गैटोर (नाहरगढ़) यहाँ कछवाहा शासकों की छतरियाँ स्थित है। यहाँ जयसिंह                 द्वितीय से मानसिंह द्वितीय तक की छतरियाँ है। केवल ईश्वरीसिंह की यहाँ छतरी नहीं है।






अलाउद्दीन खिलजी का राजपूताना अभियान



                                      अलाउद्दीन खिलजी का राजपूताना अभियान 


सन् रियासत परिवर्तित नाम     तात्कालीन शासक  जौहर               विद्रोही 
1301 रणथम्भौर   -     हम्मीर चौहान रंग देवी/पुत्री पदम्ला     रणमल/ रतिपाल
1303 चितौडग़ढ़ खिज्राबाद     रतन सिंह पद्मिनी                    राघव चेतन
        1305        मालवा
1308 सिवाणा दुर्ग खैराबाद        शीतल देव मैणादे                         भावले
1311 सोनारगढ़ जलालाबाद     कान्हड़देव जैतलदे                        बिका दहिया

राजस्थान के शासक व सेनानायक/दरबारी विद्वान



राजस्थान के शासक व सेनानायक/दरबारी विद्वान -
शासक सेनानायक/दरबारी

  1. राव मालदेव जैता व कुंपा
  2. उदय सिंह         जयमल व फत्ता
  3. राव रतनसिंह गौरा व बादल
  4. परमार्दिदेव चंदेल आल्हा व उदल
  5. हम्मीर चौहान रणमल व रत्तिपाल (विद्रोही) व धर्मसिंह व भीमसिंह (ईमानदार)
  6. कान्हड़दे         जैता व देवड़ा, बिका दहिया (विद्रोही)
  7. शीतलदेव         सातल व सोम, वीर पँवार
  8. जैत्रसिंह         बालक व मदन
  9. वीर धवल (गुजरात) वास्तुपाल व तेजपाल
  10.         पृथ्वीराज चौहान       पृथ्वीभट्ट ,वागीश्वर ,विश्वरूप ,विद्यापति गौड़ , जयानक, जनार्दन 
  11.         

महल Palace



                                                       महल

  1. जयपुर हवामहल, सिटी पैलेस/चन्द्रमहल, मुबारक महल, जल महल, बादल महल,                                 शीश महल (आमेर)
  2. टोंक         सुनहरी कोठी
  3. जैसलमेर बादल महल
  4. बूँदी         छत्र महल, सुख महल
  5. उदयपुर जगमंदिर महल, जगनिवास महल (लेक पैलेस)
  6. जोधपुर उम्मेद भवन पैलेस
  7. अलवर विजय विलास, विनय विलास
  8. भरतपुर सूरज महल
  9. पुष्कर मान महल
  10. झुंझुनूं खेतड़ी महल
  11. बीकानेर लालगढ़ महल, अनूप महल
  12. डूंगरपुर एक थम्बिया महल, बादल महल
  13. झालावाड़ काठ का रैन बसेरा (महल)


पासा सिंधुघाटी सभ्यता

पासा 
सिंधुघाटी सभ्यता


हड़प्पा में खुदाई के दौरान मलबे में 1 से 6 डॉट के साथ एक क्यूबिकल डाई पाया गया था। मोहनजो-दारो में कई ऐसे पासे भी पाए गए। जॉन मार्शल लिखते हैं: "मोहनजो-दारो में यह एक आम खेल था, यह साबित हो गया है कि टुकड़ों की संख्या पाई गई है। सभी मामलों में वे मिट्टी के बर्तनों से बने होते हैं और आमतौर पर घनाकार होते हैं, जिसका आकार 1.2 से 1.2 से 1.2 इंच तक होता है। 1.5 से 15 इंच तक 1.5। .. मोहनजो-दारो का पासा उसी तरह से चिह्नित नहीं किया जाता है जैसे कि दिन,सी भी दो विपरीत पक्षों पर बिंदुओं का योग सात की बजाय हो।            

            
 1 विपरीत 2, 3 4 के विपरीत, और 5 विपरीत 6. पाए गए सभी उदाहरण बहुत अच्छी तरह से अच्छी तरह से परिभाषित किनारों के साथ बनाए गए हैं, अंक उथले छेद व्यास में औसतन 0.1 इंच हैं। जिस मिट्टी से उन्हें बनाया गया है वह हल्का लाल है। रंग, अच्छी तरह से पके हुए, और कभी-कभी लाल धोने के साथ लेपित। ये पासा एक नरम सतह पर फेंक दिया जाना चाहिए, जैसे कि कपड़े का एक टुकड़ा, या धूल भरी जमीन पर, उनके किनारों के लिए पहनने के छोटे संकेत दिखाई देते हैं। यह अभी तक ज्ञात नहीं है। चाहे इन वस्तुओं का उपयोग जोड़े में किया गया था, लेकिन दो नमूने जो डीके एरिया [मोहनजो-दारो] में पाए गए, प्रत्येक ऊद से दूर नहीं एर, बिल्कुल उसी आकार के हैं। " (मार्शल, मोहनजो-दारो और सिंधु सभ्यता, पीपी। 551-2)
ये टेरा-कोट्टा पासे लगभग 2 सेमी के होते हैं, और 1900-2500 ईसा पूर्व के बीच के हैं।


शासकों की उपाधि


 शासकों की उपाधि Title of rulers
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                   शासक           उपाधि/उपनाम
  मुंज परमार (मालवा)   1. वाक्पतिराज  2. उत्पलराज
सिंहराज (आबू)            मरूमंडल का महाराज
अखैराज देवड़ा-प्रथम (सिरोही)   उडग़ा अखैराज
अर्णोराज (अजमेर)              महाराजधिराज, परमेश्वर, परमभट्टारक
विग्रहराज चतुर्थ (अजमेर)   1. कटिबन्धु   2. कविबान्धव
पृथ्वीराज चौहान-तृतीय (अजमेर) 1. रायपिथौरा 2.दलपुंगल   भारतेश्वर , हिंदु सम्राट,
                                                         सपादलक्षेश्वर   दल पंगुल, विश्वविजेता, राय पिथौरा
सुर्जन सिंह हाड़ा (रणथम्भौर)     राव राजा
बप्पा रावल (मेवाड़)     चाल्र्स मार्टल, हिन्दुसूर्य, कालभोज, मालभोज
तेजसिंह (मेवाड़)     उभापतिवर लब्ध प्रौढ़ प्रताप
समर सिंह (मेवाड़)     तुर्कों से गुजरात का उद्धारक ,शत्रुओं की शक्ति का अपहरणकर्ता
राणा हम्मीर (मेवाड़)     1. मेवाड़ का उद्धारक
                     2. विषम घाटी पंचानन
राव चूड़ा (मेवाड़)       मेवाड़ का भीष्म पितामह
राणा कुंभा (मेवाड़) 1. राजस्थान का स्थापत्य कला का जनक  
                2. संग्राम विश्वम्भरो
कवि महेश भट्ट (कुंभा का महाकवि) कवीश्वर
राणा साँगा (मेवाड़) 1. हिन्दूपथ , हिंदूपति  2. सैनिक  भग्नावेश,
                        3. सिपाही का अंश
महाराणा प्रताप (मेवाड़) 1.कीका    2. राजस्थान का महानतम् सुरत्ताण    3. मेवाड़ केसरी      4. हल्दीघाटी का शेर
भामाशाह (महाराणा प्रताप का प्रधानमंत्री) 1. मेवाड़ का दानवीर
2. मेवाड़ का कर्ण  3. मेवाड़ का रक्षक
जगतसिंह प्रथम (मेवाड़-उदयपुर) महाराज
राजसिंह (मेवाड़-उदयपुर) विजय कटकातु
महाराणा सज्जन सिंह (मेवाड़-उदयपुर)
1. केसर-ए-हिन्द
2. त्रह्म्ड्डठ्ठस्र ष्टशद्वद्वड्डठ्ठस्रद्गह्म् शद्घ ह्लद्धद्ग स्ह्लड्डह्म् शद्घ ढ्ढठ्ठस्रद्बड्ड (त्रष्टस्ढ्ढ)
भारमल(आमेर का शासक) 1. राजा   2. अमीर-उल-उमरा
सवाई जयसिंह(आमेर) चाणक्य
जयसिंह-द्वितीय (जयपुर) 1. सरमहाराजहाय
2. राज राजेश्वर श्री राजाधिाराज सवाई
मियाँ चाँदखाँ (सवाई प्रतापसिंह का दरबारी कवि) बुद्ध प्रकाश
सवाई रामसिंह द्वितीय(जयपुर) सितार-ए-हिन्द
सवाई माधोसिंह (जयपुर) बब्बर शेर
सवाई प्रतापसिंह(जयपुर) बृजनिधि
राव मालदेव (मारवाड़) हश्मत वाला शासक
राव चन्द्रसेन(मारवाड़) 1. मारवाड़ का प्रताप
2. प्रताप का अग्रगामी
3. मारवाड़ का पथ प्रदर्शक
4. भूला-बिसरा राजा
राव गजसिंह(मारवाड़) दलथंभन
जसवंत सिंह (मारवाड़) महाराजा
दुर्गादास राठौड़ (मारवाड़ का नायक)     1. राठौड़ वंश का उद्धारक
      2. राठौड़ों का यूलिसीज
महाराजा गजसिंह द्वितीय (मारवाड़) मारवाड़ का भागीरथ
विजयसिंह (मारवाड़)           जहाँगीर का नमूना/मॉडल
पृथ्वीराज राठौड़(मारवाड़) डिंगल का हैरोस
राव लूणकरण (बीकानेर) कलियुग का कर्ण
महाराजा रायसिंह (बीकानेर) 1. महाराजा 2. महाराजाधिराज
3. राजपूताने का कर्ण (दूसरा कर्ण)
कर्ण सिंह जांगलधर बादशाह
अनूप सिंह (बीकानेर) 1. विद्वानों का जन्मदाता  2. माही भरातिव
गंगा सिंह (बीकानेर) 1. के.सी.आई.
2. आधुनिक भारत का भागीरथ
सूरजमल (भरतपुर)         1. जाटों का प्लेटो
            2. सिनसिनवाल जाटों का अफलातून शासक
बदन सिंह (भरतपुर) बृजराज
महारावल कल्याणमल (जैसलमेर)         आधुनिक जैसलमेर का निर्माता
बाबर (मुगल शासक)   गाजी
उम्मादे (मारवाड़)     रूठी रानी
गुलाबराय (मारवाड़)       1. जहाँगीर की नूरजहाँ
2. मारवाड़ की नूरजहाँ
रमाबाई (मेवाड़) वागीश्वरी
उदयपुर के महाराणा हिन्दूआ सूरज
उदयपुर के शासक महाराणा
जोधपुर, बीकानेर के शासक महाराजा
जैसलमेर, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा के शासक महारावल


राजस्थान में प्रचलित सिक्के Coins prevalent in Rajasthan

राजस्थान में प्रचलित सिक्के Coins prevalent in Rajasthan “Bibliography of Indian Coins”  नामक ग्रंथ में भारतीय सिक्कों को सचित्र क्...